प्रदेश में आइआइटी की तर्ज पर होंगे अब RIT, इनमें ये 4 इंजीनियरिंग कॉलेज हुए शामिल, पढ़े पूरी खबर
R.खबर ब्यूरो। राजस्थान में तकनीकी शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेज को विकसित करने की कवायद शुरू हुई है। जानकारी के अनुसार सरकार अब इन कॉलेजों को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आइआइटी) की तर्ज पर राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आरआइटी) में विकसित करेगी। इसके लिए अलग से निदेशालय का गठन किया जाएगा। इन कॉलेजों में एकेडमिक के साथ इंफ्रा सहित अन्य सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। बताया जा रहा है कि कॉलेजों को आधुनिक सुविधाओं, नवीनतम पाठ्यक्रमों और अनुसंधान केंद्रों से लैस किया जाएगा ताकि ये राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।
उद्देश्य, छात्रों का राजस्थान के कॉलेजों की ओर बढे़ रुझान:-
इसके पीछे उद्देश्य है कि छात्रों का राजस्थान के कॉलेजों की ओर रुझान बढे़। बजट 2025-26 में इस योजना की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी। इसमें भरतपुर, अजमेर और बीकानेर के इंजीनियरिंग कॉलेजों को प्रथम चरण में आरआइटी के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया था। अब इसमें जयपुर के पहले सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज को भी शामिल कर लिया गया है। जयपुर कॉलेज को भी आरआइटी में विकसित किया जाएगा।
हर साल खाली रह जाती सीटें:-
राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों में राजस्थान इंजीनियरिंग एडमिशन प्रोसेस (रीप) के जरिये प्रवेश प्रक्रिया अपनाई जाती है। पिछले 5 साल के प्रवेश देखें तो छात्रों का रुझान कम देखने को मिल रहा है। हर साल 14 से 15 हजार सीटें खाली रह जाती हैं। इस बार भी सत्र 2024-25 में आधी सीटें खाली रह गईं। 78 इंजीनियरिंग कॉलेजों की 28 हजार सीटों पर करीब 14 हजार छात्रों ने ही प्रवेश लिया है।
अब मिलेगी स्वायत्तता:-
जानकारी के अनुसार सरकार ने इन कॉलेजों को पहले सोसायटी के अधीन शुरू किया था। इसके बाद इन्हें यूनिवर्सिटी के अधीन कर दिया। इसके बाद भी कॉलेजों का विकास नहीं हुआ। तकनीकी शिक्षा में गुणवत्ता और संसाधनों की कमी के कारण इन कॉलेजों का अपेक्षित विकास नहीं हो सका। आरआइटी निदेशालय के गठन से इन कॉलेजों को स्वायत्तता प्रदान की जाएगी, जिससे वे अपने पाठ्यक्रम, फैकल्टी, और बुनियादी ढांचे को स्वतंत्र रूप से बेहतर कर सकें। विशेषज्ञों की मानें तो आरआइटी के तहत कॉलेजों को न केवल आधुनिक प्रयोगशालाएं और डिजिटल कक्षाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, बल्कि उद्योगों के साथ साझेदारी को भी बढ़ावा दिया जाएगा। इससे छात्रों को बेहतर प्लेसमेंट और प्रैक्टिकल अनुभव मिलेगा। इसके अलावा, इन कॉलेजों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ), मशीन लर्निंग और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे उभरते क्षेत्रों में विशेष कोर्स शुरू करने की योजना है।