सिंचाई पानी में उबाल…आज किसानों का चक्का जाम
बीकानेर. प्रदेश के 11 जिलों को पेयजल और पश्चिमी राजस्थान को सिंचित करने वाली इंदिरा गांधी नहर परियोजना (आईजीएनपी) में पानी का संकट खड़ा हो गया है। नहर से सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने से किसानों की रबी की फसलें मुरझा रही है। ऐसे में बेबस किसान आंदोलन की राह पर उतर चुका है। सिंचाई विभाग बांधों में पानी बहुत कम बचा होने और केवल पेयजल जरूरत ही पूरी होने का हवाला देकर सिंचाई पानी नहीं दे पाने की मजबूरी गिना रहा है। दूसरी तरफ किसान भी बांधों के मौजूदा लेवल से नीचे तक ले जाने के पिछले उदाहरण देकर पानी मांग रहा है।
जिले में लूणकरनसर से लेकर खाजूवाला तक के किसानों ने सिंचाई पानी की मांग को लेकर शनिवार को चक्का जाम और बाजार बंद का आह्वान कर रखा है। लूणकरनसर में किसानों का धरना चल रहा है। खाजूवाला में भी किसानों ने बंद की तैयारी कर रखी है। जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षक सहित अधिकारी शुक्रवार को लूणकरनसर क्षेत्र में किसानों के पास बात भी की। परन्तु किसान सिंचाई पानी नहीं देने तक आंदोलन से पीछे हटने का तैयार नहीं हुए।
पेयजल के लिए चल रहा पानी
आईजीएनपी क्षेत्र में पेयजल के लिए करीब 3200 क्यूसेक पानी (भाखड़ा के हिस्से सहित 4095 क्यूसेक) मिल रहा है। किसानों को सिंचाई के लिए पानी देने के लिए कम से कम एक हजार क्यूसेक पानी नहर में अतिरिक्त चलाने की जरूरत है। असल में उत्तरी-पश्चिमी राजस्थान के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर और जैसलमेर जिलों में सिंचाई पानी पंजाब से आने वाली नहरों से मिलता है। इसके साथ ही जोधपुर-बाड़मेर तक के क्षेत्र को सालभर नहरें पेयजल उपलब्ध करवा रही है। यह पानी पंजाब में बने हरीके बैराज से मिलता है। आईजीएनपी को पानी का शेयर रावी-व्यास नदी पर बने पोंग डेम से मिलता है। बांधों में 20 लाख 80 हजार एकड़ फीट पानी पेयजल की जरूरतों के लिए आरक्षित है। इसके बाद बचा पानी सिंचाई के लिए उपयोग में लिया जाता है।