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R खबर, दोनों देशों के बीच काफी तनाव व आशंकाओं के बाद आखिरकार युद्ध छिड़ गया। अगले कुछ घंटों में यह एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच सकता है। युद्ध ने यूरोप में महायुद्ध व तीसरे विश्वयुद्ध के हालात पैदा कर दिए हैं। यूरोप के देशों या अमेरिका ने रूस के खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई की तो पूरी दुनिया के लिए बड़ी मुसीबत पैदा हो जाएगी।

सोवियत संघ के जमाने में कभी मित्र रहे यह प्रांत दो देश बनने के बाद एक दूसरे के शत्रु बन गए हैं अब जाने 9 बिंदुओं में पूरा मामला…

  1. यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस से जुड़ी हुई है 1991 तक यूक्रेन पूर्ववर्ती सोवियत संघ का हिस्सा था।
  2. रूस और यूक्रेन के बीच तनाव 2013 के नवंबर में तब शुरू हुआ। जब यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति यानुकोविच का कीव में विरोध हुआ था। जबकि उन्हें रूस का समर्थन था। यानुकोविच को अमेरिका और ब्रिटेन समर्थित प्रदर्शनकारियों के विरोध के कारण फरवरी 2014 में देश छोड़कर भागना पड़ा था।
  3. इससे खफा होकर रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था। जिसके बाद वहां के अलगाववादियों को समर्थन दिया था। इन अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था।
  4. 2014 के बाद रूस एस मस्त समर्थक अलगाववादियों और यूक्रेन के सेना के बीच डॉन बॉस्को आंत में संघर्ष चल रहा था।
  5. इससे पहले जब 1991 में यूक्रेन सोवियत संघ से अलग हुआ था तब भी कई बार क्रीमिया को लेकर दोनों देशों में टकराव हुआ था।
  6. 2014 के बाद रूस में यूक्रेन में लगातार तनाव में टकराव को रोकने व शांति कायम करने के लिए पश्चिमी देशों ने काफी प्रयास किया था। फ्रांस और जर्मनी ने 2015 में बेलारूस की राजधानी मिंस्क में दोनों के बीच शांति व संघर्ष विराम का समझौता करवाया था।
  7. हाल ही में यूक्रेन ने नाटो से करीबी व दोस्ती बनाना शुरू किया। यूक्रेन के नाटो से अच्छे रिश्ते हैं। 1949 में तत्कालीन सोवियत संघ से निपटने के लिए नाटो यानी (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) बनाया गया था। यूक्रेन कि नाटो से करीबी रूस को नागवार गुजरने लगी थी।
  8. अमेरिका और ब्रिटेन सहित दुनिया के 30 देश नाटो के सदस्य हैं। यदि कोई देश किसी तीसरे देश पर हमला करता है तो नाटो के सभी सदस्य देश एकजुट होकर उसका मुकाबला करते हैं। रूस चाहता है कि नाटो अपना विस्तार ना करें। राष्ट्रपति पुतिन इसी मांग को लेकर यूक्रेन व पश्चिमी देशों पर दबाव डाल रहे थे।
  9. आखिरकार रूस ने अमेरिका व अन्य देशों की पाबंदियों की परवाह किए बिना गुरुवार को यूक्रेन पर हमला कर दिया। अब तक तो नाटो, अमेरिका व कोई अन्य देश यूक्रेन के समर्थन में जंग में खुल कर सामने नहीं आया है। लेकिन यूक्रेन की परोक्ष मदद कर रहे हैं, ऐसे हालातों में अंदाजा लगाना मुश्किल है कि यह जंग क्या मोड़ लेगी। यदि यूरोप के देशों में अमेरिका ने रूस के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई की तो पूरी दुनिया के लिए बड़ी मुसीबत पैदा हो जाएगी।