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खराब मौसम से यूरोप और अमरीका में फसल को नुकसान

नई दिल्ली, यूरोप की ‘रोटी की टोकरी’ कहे जाने वाले यूक्रेन पर रूस के हमले से खाद्यान आपूर्ति को लेकर हालात गंभीर होते जा रहे हैं। इस संकट को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि दुनिया के पास मात्र 10 सप्ताह यानी 70 दिन का गेहूं शेष बचा है। गेहूं का संकट 2008 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। दुनिया में खाद्यान्न का ऐसा संकट एक पीढ़ी में एक ही बार होता है। यूक्रेन संकट और भारत के गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के बाद यूरोप के देशों में गेहूं की कमी होती जा रही है। हालात ऐसे ही रहे तो यूरोपीय देश खाने के लिए तरस सकते हैं।

गो इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के अनुसार रूस और यूक्रेन दुनिया के एक चौथाई गेहूं की आपूर्ति करते हैं। पश्चिमी देशों को लगता है कि रूस में इस साल शानदार हुई गेहूं की फसल को पुतिन नियंत्रित कर सकते हैं। वह यूक्रेन के खाद्यान्न पर कब्जा कर सकते हैं। दूसरी ओर खराब मौसम की वजह से यूरोप और अमरीका में गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। गो इंटेलिजेंस की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सारा मेनकर ने चेतावनी दी कि दुनिया खाद्यान्न को लेकर असाधारण चुनौतियों से जूझ रही है। इसके लिए फर्टिलाइजर की कमी, जलवायु परिवर्तन और खाद्यान्न तेल तथा अनाज का कम भंडार भी बड़ा कारण है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि बिना वैश्विक प्रयास के हम मानवीय त्रासदी को रोक नहीं पाएंगे। ऐसा संकट भू-राजनीतिक दौर को नाटकीय तरीके से बदल सकता है।

भारत पर टिकीं दुनिया की निगाहें
दुनिया भारत की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है। हालांकि भारत ने घरेलू बाजार में कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत की ओर से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का मामला क्वॉड बैठक में उठ सकता है। अमरीकी राष्ट्रपति बाइडन पीएम नरेंद्र मोदी से निर्यात से प्रतिबंध हटाने का अनुरोध कर सकते हैं।