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खाजूवाला, आमजन पर बिजली बिलों मे फ्युल सरचार्ज के नाम पर लाखों रूपये की लुट को रोकने को लेकर भाजपा मंडल के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन उपखंड अधिकारी को दिया गया। इस मौके पर पूर्व विधायक डॉ विश्वनाथ मेघवाल उपस्थित रहे।


मंडल अध्यक्ष जगविंदर सिंह ने बताया कि भाजपा मंडल खाजूवाला द्वारा प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन उपखंड अधिकारी को सौंपा गया। जिसमे बताया कि पूर्ववती भाजपा सरकार में जो फ्यूल सरचार्ज 18 पैसे प्रति यूनिट हुआ करता था, वह कांग्रेस सरकार ने बढाकर 60 पैसे प्रति यूनिट औसतन कर दिया। 2018 में बिजली की प्रति यूनिट दरें 5 रूपए 55 पैसे हुआ करती थी, वह अब बढाकर 11 रूपए 90 पैसे कर दी गई है। राजस्थान में विद्युत उत्पादन निगम के 10 थर्मल व हाइडल प्लांट और 3 अन्य पावर प्लांट हैं जिनकी कैपेसिटी 8597.35 मेगावाट बिजली उत्पादन की है, लेकिन सरकार की नीतियों के चलते कोयले की कमी, तकनीकी खराबी का बहाना बनाकर यह उत्पादन घटकर महज 3500 से 4000 मेगावाट पर आ गया। वहीं प्रदेश सरकार के गलत प्रबंधन के चलते प्रदेश में प्रति माह 5 से 7 थर्मल पावर प्लांट बंद हो जाते हैं।


विंड एनर्जी और सोलर एनर्जी के मामले में भी प्रदेश में 17 हजार 143 मेगावाट के विद्युत संयत्र लगे होने के बावजूद इनसे पैदा होने वाली बिजली में प्रदेश की जनता को 3 हजार 326 मेगावाट बिजली ही मिल पाती है। इस हिसाब से देखा जाए तो प्रदेश में उत्पादित बिजली का 23 फीसदी हिस्सा ही प्रदेश को मिल पाता है, जबकि 77 फीसदी उपयोग प्रदेश के बाहर निजी विद्युत कंपनियों के उपयोग में आ रही है।
कोयला खरीद में व्याप्त घोटाले का आरोप लगाते हुए विधायक विश्नोई ने कहा कि हाल ही में कोयला कंटेनरों में 30 प्रतिशत कोयले की चोरी पकडी गई है। जिसमें औसतन एक कंटेनर में दस लाख का कोयला होता है। प्रतिदिन 500 से 600 ट्रकों से कोयला चोरी किया जाता है।


ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अघोषित बिजली कटौती हो रही है तो एक तरफ सरकार 23.309 मेगावाट क्षमता बिजली उत्पादन के साथ सरप्लस बिजली होने की बात कहती है, दूसरी तरफ प्रदेश में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 6-10 घंटे अघोषित बिजली कटौती करती है। बिजली की दरों का हवाला देते हुए उन्होने कहा कि घरेलू श्रेणी की मंहगी बिजली दरों के मामले में राजस्थान देश में चौथे नंबर पर है।
पेयजल संकट की स्थिति में जिले में बदतर है शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की बुरी स्थिति हो गई है, जिले के कई गांवों में पेयजल व्यवस्था राम भरोसे है। केन्द्र सरकार की जल जीवन मिशन योजना का बुरा हाल करने में प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी।


प्रदेश के करीब डेढ करोड विद्युत उपभोक्ताओं को 17 रूपए प्रति यूनिट बिजली महंगी दी जा रही है। गहलोत सरकार में साल 2021 में 13 हजार 793 करोड तक की महंगी बिजली खरीदी गई। उसके बावजूद अन्य राज्यों के मुकाबले चालीस प्रतिशत मंहगी बिजली उद्योगों को दी जा रही है। महंगी बिजली खरीद के बाद फिर कटौती का संकट उद्योगों को झेलना पड रहा है, गांवों मे शाम सात बजे से सुबह पांच बजे तक रोटेशन के नाम पर बिजली कटौती की जा रही है।


आरपीएससी भंग कर रीट परीक्षा से आहत छात्रों को मुआवजा दिया जावे।
आचार सहिंता लगने के महज साढें चार माह पहले राहत शिविर के नाम पर सरकार अपना प्रोपेगेंडा चला रही है। राहत शिविरों में नोडल अधिकारी नियुक्त करने के बजाय प्रोटोकॉल भूल कर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष तय करते है, कि किस नेता को भाषण बाजी के लिए कैंप में भेजना है।


राहत शिविरों में जो गारंटी दी जा रही है वह तो बजट घोषणा में शामिल थी, जिसे 01 अप्रैल से स्वतः ही लागू हो जाना चाहिए था, मंहगाई राहत कैंप के नाम पर पहले से चल रही केन्द्र सरकार और पूर्ववर्ती सरकारों की योजनाओं का पुनः पंजीकरण कराने से आमजन को भयंकर तपती गर्मी मे सिवाय परेशानी के काई लाभ नहीं होगा। कांग्रेस सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना जब 500 से बढाकर 750 प्रतिमाह की तब इसका पुनः पंजीकरण नहीं कराया गया और जब 750 से 1000 की तब इसका पुनः पंजीकरण क्यो कराया गया, ऐसे ही चिरंजीवी योजना में बीमा राशी पांच लाख से बढाकर दस लाख की गई तब इसका पुनः पंजीकरण नहीं कराया गया इसी तरह निःशुल्क बिजली योजना में कांग्रेस सरकार द्वारा किया गया। कांग्रेस सरकार जनता के पैसे सरकार के प्रचार-प्रसार में फिजुल खर्च किये जा रहे।
राज्य सरकार पाकिस्तान से आये शरणार्थियों को बेवजह परेशान कर रही है पुर्व में जोधपुर में अतिक्रमण के नाम पर शरणार्थियों की बस्तियों के मकान तोड़े गये अब जैसलमेर जिले में भील समाज के पाकिस्तान से आये शरणार्थियों के मकानो को तोड़ा जा जो सरासर नाजायज है। भारत सरकार ऐसे शरणार्थियों का प्ररिक्षण कर नागरिकता दे रही है और साथ ही अन्य सुविधाएं भी दी जा रही है। अन्य देशों से प्रताड़ित हिन्दुओ शरण देना हमारा फर्ज है जबकि राज्य सरकार उनको प्रताड़ित कर रही है।


असवैधानिक निलम्बन षड़यत्र मे शामिल नगरपालिका अधिशाषी अधिकारी को निलंबित किया जाए। नगरपालिका अधिशाषी अधिकारी किसी भी कार्य मे नगरपालिका पार्षद व चैयरमैन की राय नही लेता गत 1 वर्ष से पार्षदों की बैठक नही ली 1 साल से सफाई के टेण्डर नही लगा रहा है और कोई टेण्डर लगा हुआ भी है। तो उसका वर्कऑडर जारी नही किया गया है। पिछले 6 माह से सफाई कर्मचारियों को भुगतान नही किया जा रहा है। नगरपालिका क्षेत्र मे गन्दगी का अम्बार लगा हुआ है। इस मौके पर दर्जनों भाजपा के कार्यकर्ता व पदाधिकारी उपस्थित रहे।