खाजूवाला गांव से शहर बन गया लोगों को चला आज पता, प्रशासन के अभियान के चलते सैकड़ों खोखा धारी हुए चंद घंटों में बेरोजगार। देखे वीडियो…

सड़क को कर दिया गया अतिक्रमण मुक्त, खोखा धारकों के सामने रोजी-रोटी का सवाल

खाजूवाला, विधानसभा मुख्यालय और नगरपालिका क्षेत्र खाजूवाला के लिए 23 मई का दिन हमेशा काले अक्षरों में लिखा जाएगा, क्योंकि सैंकड़ों लोगों का जीवन यापन खोखा पट्टी में चल रहा था। जो मंगलवार को पीले पंजे के आगोश में आ गया और लोगों का रोजगार छिन गया। वहीं प्रशासन का कहना था कि हमने सड़क को अतिक्रमण मुक्त किया है।


नगरपालिका क्षेत्र खाजूवाला में प्रशासन का मंगलवार सुबह पीला पंजा चला और इस कदर चला कि किसी की एक भी नहीं सुनी गई। पुलिस थाना चौराहा पर सुबह 9 बजे ही सैंकड़ों की संख्या में 30-40 साल से बैठे खोखाधारक एकत्रित हो गये और अपनी बात प्रशासन के समक्ष रखना चाहते थे। पूरी मण्डी के लोग, महिलाऐं बच्चों सहित प्रशासन और पुलिस के काफिले का इन्तजार कर रहे थे और जैसे ही प्रशासन का काफिला जेसीबी के साथ पुलिस थाना चौराहा पर खोखो को हटाने के लिए आगे बढ़ा, तो एक बारगी प्रशासन को घोर विरोध का सामना करना पड़ा। पूर्व संसदीय सचिव डॉ विश्वनाथ मेघवाल ने प्रशासन के साथ काफी देर तक आग्रह किया और कहा कि गरीबों को मत उजाड़ों, लेकिन प्रशासन ने कहा कि उपर से आदेश है, हमें हमारा काम करने दो। हम बाद में खोखा धारकों को स्थाई जगह देंगे।

भारी विरोध के बीच प्रशासन ने जेसीबी से जैसे ही खोखो को तोड़ना शुरू किया तो पूर्व संसदीय सचिव डॉ विश्वनाथ मेघवाल जेसीबी के आगे लेट गये। पुलिस के अधिकारियों और कार्मिकों ने उठा कर साईड में किया और अतिक्रमण को हटाने का कार्य पुलिस थाना चौराहा से शुरू किया। दो पीले पंजे पुलिस थाना चौराहा से खोखो को हटाते हुए जैसे-जैसे आगे बढ़ते जा रहे थे, लोग अपने खोखो को बचाने की गुहार भी लगाते रहे। वही लोगों ने समय देने की बात भी की। लेकिन तय समय के अनुसार पूरी तैयारी के साथ आये प्रशासन के लोगों ने लगभग दो घंटे में पुलिस थाना चौराहा, मीणा मार्केट, राजकीय विद्यालय, सब्जी मण्डी तथा सोसाईटी के पास तक रखे हुए खोखों को तहस-नहस कर दिया। पीले पंजे से खोखे को हटाने तथा फिर उसे पूरी तरह से तोड़कर प्लेन करने तक का काम किया गया। काफी जगह पर ईंटों से पक्के निर्माण भी खोखा पट्टी में देखे गये, जिन्हें भी हटाया गया।


ज्ञात रहे इन खोखों में लोगों ने विद्युत कनैक्शन भी ले रखे थे, लेकिन प्रशासन ने पहले से भी विद्युत कटवा रखी थी। खोखो को हटाने के दौरान कुछ महिलाऐं तथा बुजुर्ग भी गुहार लगाने के लिए आगे आये लेकिन प्रशासन ने पुलिस को आदेशित कर उन्हें वहां से हटवाया।

सब्जी मण्डी पहुंचने पर एक खोखाधारक ने खोखे पर स्टे होने का हवाला दिया और खोखे को न हटाने के लिए अड़ा रहा। यहां तक कि उसने अपना सामान भी नहीं हटाया और स्टे की कॉपी प्रशासन को दी, ऐेसे में प्रशासन ने हवाला दिया कि सड़क पर दुकान लगाने का कोई स्टे नहीं होता। देखते ही देखते उसे हटाने का कार्य शुरू हुआ, तो उनके परिवारजन पुलिस के साथ भिड़ गये। पुलिस के साथ भिड़े परिवाजन को शांत करने का प्रयास किया गया। लेकिन स्थिति भयानक होती देख पुलिस जाप्ता बुलाया गया। पुलिस के साथ हाथा-पाई की नौबत भी आई तो पुलिस ने बल प्रयोग भी किया और वहां से सभी को खदेड़ दिया गया। थानाधिकारी अरविन्द शेखावत ने मोर्चा संभाला और लगभग 10 मिनिट की जिदो-जहद के बाद उस खोखे को पूरी तरह से तहस-नहस करवा दिया और मलबे में तबदील कर दिया गया। जहां-जहां प्रशासन ने खोखो पर पीला पंजा चलवाया, वहां-वहां पूरी तरह से मलबे में ही तबदील किया गया।


सब्जी मण्डी के बाद हनुमान मंदिर के पास सड़क का नाप तौल किया गया। अगर हनुमान मंदिर के बाहर जेसीबी चलती तो प्रशासन को भारी विरोध झेलना पड़ता। ऐसे में हनुमान मंदिर से पहले ही जेसीबी को वापिस भेज दिया गया। खोखा-पट्टी का मलबा भी हाथों-हाथ हटाने का कार्य किया गया। मलबे को ट्रॉलियों में भरकर स्टेडिम की तरफ भेजा गया। सुबह जैसे ही प्रशासन ने पीला पंजा चलाया तो फोटो खींचने और वीडियो बनाने वाले भी सैंकड़ों की संख्या में देखे गये। किसी ने डण्डे की परवाह भी नहीं की और वीडियो बनाने में मस्त रहे।


नगरपालिका क्षेत्र खाजूवाला में खोखा-छप्पर-रेहड़ी यूनियन भी बनी हुई है। अध्यक्ष जगदीश अरोड़ा ने बताया कि कई बार प्रशासन और केबिनेट मंत्री गोविन्दराम मेघवाल को ज्ञापन देकर आग्रह किया गया था कि पहले हमें स्थाई जगह उपलब्ध करवाई जावे, उसके बाद खोखे हटाने की कार्यवाही की जावे। लेकिन हमारी किसी ने एक भी नहीं सुनी और गरीबों का नुकसान कर दिया गया। एक-एक खोखे की कीमत 30-40 हजार रुपए हैं। जो लोग इस खोखा पट्टी में बैठ कर अपना रोजगार चला रहे थे, आज उनके पास शाम की रोटी के लाले पड़ रहे हैं। लगभग 300 खोखाधारक पिछले 35 वर्षों से जल अभियांत्रिकी विभाग, वन विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग, पशु चिकित्यालय, सरकारी स्कूल के आगे व आरसीपी कॉलोनी के आगे अपने लकड़ी के खोखे लगाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे, जिनके आज व्यवसाय समाप्त हो गये और उनके सामने रोजी-रोटी का सवाल पैदा हो गया। अध्यक्ष ने बताया कि 168 खोखाधारियों से 10 गुणा 10 यानि 100 फिट माप की वैकल्पिक भूखण्ड आंवटित करने बाबत निर्धारित प्रारूप में अतिरिक्त जिला कलेक्टर एवं सचिव मण्डी विकास समिति बीकानेर द्वारा 2778 रू लेकर रसीद दी गयी है तथा नायब तहसीलदार मण्डी विकास समिति खाजूवाला में आवेदन करवाये गये थे। जिसके मुताबिक 168 खोखा, छप्पर, रेहड़ी धारको ने आवेदन कर राज्य सरकार में 1997 को पुनः बसाने का आग्रह किया था। वही कई तो 19981 व 1984 से यहां बैठे थे। जो आज एकदम से बेरोजगार हो गए।
खाजूवाला की पक्की दुकानों की भी चौकियां प्रशासन द्वारा मंगलवार को तोड़ी गई है। वही उन दुकानों पर किसी पर 10 फुट, 20 फुट किसी पर 13 फुट किसी के 25 फुट के मार्किंग की गई है। जिससे पूरे गांव के व्यापारियों में दहशत का माहौल है।