थोड़ी सी ही बारिश में सड़के बन जाती है दरिया, पंचायत के सफाई के दावे हो रहे खोखले शाबित

खाजूवाला, मण्डी में पानी निकासी की पुख्ता व्यवस्था न होने के कारण लाखों-करोड़ों रुपये का बजट लगने के बावजूद भी आमजन दुःख पा रहा है। गन्दे पानी और बरसाती पानी से मौहल्लेवासी अक्सर परेशान रहते हैं। थोड़ी बरसात आने से ही विकास की पोल अक्सर खुल जाती है। आखिर सरकारी धन का दुरुपयोग कैसे हो रहा है, ये देखने के लिए वार्ड नम्बर 2 की सड़कों को देखा जा सकता है जो पानी निकासी न होने के कारण पानी में बह रही हैं। सड़कों और नालियों के बुरे हालात होने के कारण आमजन खासा परेशान है लेकिन प्रशासन को इससे कोई सरोकार नहीं है। बरसात से नालियां और नाले अक्सर अवरुद्ध हो जाते हैं तथा बरसात का एवं नालियों का गन्दा पानी कई-कई दिनों तक सड़कों पर जमा रहने से दुकानदारों और राहगीरों को नरकीय जिन्दगी जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

बरसात का पानी लोगों के घरों में घुसे या फिर दुकानों में इससे प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के कोई फर्क नहीं पड़ता। वर्तमान में मण्डी के हालात देखे जायें तो बन्द कमरों में बैठ कर योजनाऐं बनाने वालों को धरातल पर लाकर मण्डी की समस्याओं से रुबरू करवाना चाहिए और आमजन की समस्याओं को देखकर उसका समाधान करना चाहिए। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर पावली रोड़ तक दुकानदार और मौहल्लेवासी प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को कौसते नजर आ रहे हैं क्योंकि सालाना लाखों रुपये किराया देने वाले दुकानदार इन दिनों बरसाती पानी की निकासी न होने के कारण दिन भर मक्खिया मार रहे हैं और जैसे सुबह घर से आते हैं, शाम को खाली हाथ घर चले जाते हैं क्योंकि इस सड़क से निकलना दूभर हो गया है, ऐसे में ग्राहक दुकानों पर कैसे पहुंचेगे। बरसात और नालियों का गन्दा पानी पिछले लगभग एक सप्ताह से भरा हुआ है और इस पानी को निकालने के लिए प्रशासन ने कभी सोचा भी नहीं, ऐसे में पानी निकासी की समस्या का हल कैसे होगा। सब्जी मण्डी, रोडवेज बस स्टैण्ड रोड़ अधिकारियों के घर पास गन्दगी का आलम है, ऐसे में आमजन के लिए सोचना तो बहुत दूर की बात है। मण्डी के ऐसे हालात देख कर लगता है कि शायद मण्डी का कोई धणी-धोरी नहीं है अन्यथा मण्डी के ऐसे हालात ना होते। सब्जी मण्डी से रोडवेज बस स्टैण्ड और ट्रेक्टर मार्केट तक पैदल चलना बहुत मुश्किल हो गया है। प्रत्येक वर्ष बरसाती पानी घरों तथा दुकानों में घुसता है, वहीं हॉस्पीटल रोड़ कई दिनों तक समुन्द्र बनी रहती है लेकिन किसी भी अधिकारी को कोई सरोकार नहीं है कि आखिर मण्डी की सुध ली जाये। प्रशासनिक अधिकारी तथा जनप्रतिनिधियों के बेरूखी के कारण ऐसा लगता है कि मण्डी के हालात शायद ऐसे ही रहेंगे। अगर खाजूवाला में मानसून की मुसलाधार बरसात आती है तो प्रशासन के पास पानी निकासी के लिए कोई इन्तजाम नहीं है। पिछले दिनों बरसात से बैंक रोड़ पर दुकानों में पानी घुस गया था और दुकानदारों ने स्वयं जनरेटर लगाकर पानी निकाला था। मण्डी में प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपये का बजट लगता आया है कि लेकिन प्रशासन ने मण्डी में पानी निकासी के लिए कोई योजना नहीं बनाई अन्यथा मण्डीवासियों को अक्सर यूं ही परेशान ना होना पड़ता। गणेश मंदिर के पास अक्सर बरसाती पानी जमा होता है वहीं सब्जी मण्डी अक्सर नरक बनती है। आमजन को सब्जी खरीदना तक मुश्किल होता है। मण्डी में बरसाती पानी का अधिकत्तर हिस्सा वार्ड नम्बर 2 में इक्कठा होता है लेकिन प्रशासन समस्या का समाधान करना तो दूर की बात है, कभी हालात को देखना भी उचित नहीं समझता। अगर समय रहते नालों की सफाई नहीं हुई तो मानसून की तेज बरसात मण्डीवासी झेल नहीं पायेंगे और हालात बदत्तर हो जायेंगे। बरसात ने मण्डी के विकास कार्यों की जगह-जगह पोल खोल दी है। खड़वज्जा सड़कें हो या फिर नालियां, बरसाती पानी में बह जाती हैं और मौहल्लेवासी अक्सर परेशान होते रहते हैं।

राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की योजनाऐं कि आमजन को शुद्ध पेयजल मिले और सुविधाऐं मिले, खाजूवाला में अक्सर फिसड्डी साबित होती हैं। मण्डीवासी अक्सर गन्दा पानी पीने को मजबूर होते हैं वहीं गन्दे पानी की वजह से ही अक्सर परेशान भी होते हैं। मुख्यमंत्री जी को चाहिए कि खाजूवाला मण्डी की ज्वलंत समस्याओं की तरफ ध्यान दें अन्यथा मण्डीवासियों को मजबूरन धरना, प्रदर्शन और घेराव जैसे कदम उठाने पडे़गे। लॉकडाउन की मार के बाद अभी तक मण्डीवासी उभरे भी नहीं है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से पावली रोड़ तक लाखों रुपये किराया देने वाले व्यापारी पानी निकासी न होने के कारण मार झेल रहे हैं और दुकानों पर कोई काम नहीं है। गन्दे पानी की निकासी न होने के कारण इन दुकानों पर ग्राहक पहुचता ही नहीं है। स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि मण्डी की ज्वलंत समस्याओं की ओर गौर करे तथा उनका समाधान करवायें।