खाजूवाला, खाजूवाला में सोमवार को खोखा संचालकों ने उपखण्ड अधिकारी के नाम का ज्ञापन राजस्व तहसीलदार को देकर खोखा रेहड़ी छप्पर वालों द्वारा चिह्नीत जगहों का प्रस्ताव बनाकर सम्भागीय आयुक्त को भेजकर दुकानें आवंटित करवाने की मांग की। वहीं इसके बाद आक्रोषित खोखा संचालकों ने मीणा मार्केट में खाली पड़ी जगह पर बैठकर प्रदर्शन किया तथा यहां दुकानें पर आवंटित करने की मांग की।

ज्ञापन में बताया कि खाजूवाला में खोखा छप्पर रेहड़ी यूनियन की तरफ से एक प्रतिनिधि मण्डल सम्भागीय आयुक्त से 4 जुलाई को आरक्षित दर पर आरक्षित जगह जहां उजड़े गरीब खोखा धारकों का वर्तमान में भी रोजगार चल सके इस सम्बन्ध में मिला था। सम्भागीय आयुक्त ने प्रतिनिधि मण्डल का आश्वस्थ करते हुए कहा कि जगह उपखण्ड अधिकारी को बता दो तथा वह इस जगह का प्रपोजल बनाकर भिजवा देे। बाकी सरकार से जगह आवंटन करवा ली जाएगी।

इस सम्बन्ध मे प्रतिनिधि मण्डल ने अधिकारी को अवगत करवाया कि पशु चिकित्सालय से पीडब्ल्यूडी वन विभाग तक 750 फूट, आर.सी.पी. कॉलोनी की दीवार के पास 635 फूट, 450 फूट, वाटर वक्र्स की उतर साईड की दीवार के पास 200 फूट कुल 2135 फूट जगह है जिसमें इन खोखा धारियों को दुकानें बनाकर दी जा सकती है। जिनमें 215 दुकानें आराम से दी जा सकती है।

यह जमीनें ही पूरी मण्डी में ऐसी है जहां खोखा धारकों गरीब लोगों का आज भी रोजगार चल सकता है तथा यह जिस विभाग को दी गई है। वो सभी अराजीराज भूमि पर है। इन विभागों में यह अतिरिक्त भूमि बेकार पड़ी है। विभाग इस भूमि का कोई उपयोग नहीं कर रहे है। 100 फूट सडक़ छोडक़र 10 फूट चौड़ाई की पट्टी बनाकर अगर दुकानें आवंटित कर दी जाए तो सभी खोखा धारकों का रोजगार चल सकता है व समस्या का हल भी हो सकता है। उपखण्ड अधिकारी से आग्रह किया है कि वे सम्भागीय आयुक्त के निर्देशों की पालना करते हुए उक्त जगहों पर अपने स्तर पर प्रस्ताव बनाकर जल्द से जल्द सम्भागीय आयुक्त को भिजवाया जाए ताकि खोखा धारक अपना रोजगार जल्द ही चला सके।

इसी के साथ ही सोमवार को यूनियन के अध्यक्ष जगदीश अरोड़ा के नेतृत्व में दर्जनों खोखा धारियों ने मीणा मार्केट के पास खाली पड़ी सरकारी भूमि पर बन रही चार दीवार का काम रूकवाया तथा यहां एक बार के लिए धरना लगा दिया। जिसपर तहसीलदार दर्शना, उपपुलिस अधीक्षक विनोद कुमार व थानाधिकारी चन्दन प्रकाश ने मौके पर पहुंचकर लोगों से वार्ता की तथा समझाईस की। लेकिन समाचार लिखे जाने तक खोखा धारियों का धरना जारी रहा।